नाहन(एमबीएम न्यूज़ ) : हिमालय क्षेत्र में मानवीय क्रियाकलापों से हो रहे परिवर्तन के दुष्प्रभावों तथा वन्य प्राणियों के सरक्षण और विकास के उद्देश्य से लोगों को जागरूक करने के दृष्टिगत प्रदेश राज्य विज्ञान एवं प्रौधोगिकी शिमला द्वारा नाहन के एसएफडीए हॉल में लोकप्रिय व्याख्यान श्रृंखला का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता सयुक्त सदस्य सचिव हिमकोस्ट कुणाल सिद्वार्थ ने की है।
इस अवसर पर उन्होंने प्रदेश राज्य विज्ञान एवं प्रौधोगिकी एवं पर्यावरण परिषद विभिन्न महत्वपूर्ण गतिविधियो को संचालित कर रहा है जिन में जलवायु परिवर्तन केन्द्र, सुदूर संवेदी केन्द्र, पेटेंट सूचना केन्द्र, जैवविविधता बोर्ड इत्यादि प्रमुख है। उपस्थित विद्यार्थियों को अपने सम्बोधन में उन्होंने कहा कि विद्यार्थी विज्ञान को सरल तरीके से समझे और अपने जीवन में व्यवहारिक दृष्टिकोण अपनाए ताकि भविष्य में विद्यार्थी सफलता के शिखर को प्राप्त कर सके।
इस अवसर पर पर्यावरण विद् पद्मश्री, पद्मभूषण, गाँधी शांती पुरस्कार विजेता चन्डी प्रसाद भट्ट ने हिमालय पार्यवरण एवं विकास बारे अपने विचार प्रकट करते हुए बताया कि वृक्षों का कटान नदियों में बाढ आने का प्रमुख कारण है। उन्होंने चिपको आन्दोलन का उल्लेख करते हुए कहा कि लोग पेड़ो को बचाने के लिए उनसे चिपक गए क्योंकि वह वृक्षों के महत्त्व को जानते थे। उन्होंने बताया कि देश की 45 प्रतिशत भूमि हिमालय से निकलने वाली नदियों द्वारा सिंचित होती है तथा हिमालय देश को जल जीवन और उपजाऊ मिट्टी प्रदान करता है।
उन्होंने हिमालय में स्थित ग्लेशियरों के कम होने पर चिंता जाहिर की तथा घटते ग्लेशियरों से गंगा व ब्रहापुत्र पर पड़ने वाले प्रभावों के बारे विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि प्रकृति एक छोटे बच्चे के समान है जो छेडछाड़ सहन नही कर सकता, केदरानाथ जैसी घटनाए इसी छेडछाड का नतीजा है। उन्होंने हिमालय के पहाड़ो, घाटियों तथा ग्लेशियरों को बचाने का आहवान किया।
इसके पश्चात प्रोफेसर पीके माथुर ने सरक्षण और विकास के विषय पर व्याख्यान करते हुए बताया कि भारत एक विविध जलवायु वाला प्रदेश है जिस कारण यहाँ जैव विविधता पाई जाती है। भारत में एक तरफ हिमालय जैसे क्षेत्र है जहाँ 50 डिग्री सेल्सियस तापमान है वही थार मरूस्थल में 50 डिग्री तापमान पहुच जाता है। जिस कारण जैविक विविधता पाई जाती है। विकास के साथ-साथ हमें जैव विविधता एवं विकास की तरफ ध्यान देना चाहिए।
इससे पूर्व स्नात्कोतर महाविद्यालय की प्रधानाचार्य वीना राठौर ने मुख्यातिथि तथा अन्य गणमान्य व्यक्तियों का स्वागत किया तथा अन्त में वरिष्ठ वैज्ञानिक सहायक शशीधर ने धन्यवाद किया। इस अवसर पर अरणयपाल वन वाईपी गुप्ता, डीएफओ निंशात मढोत्रा, विज्ञान समन्वयक जिला सिरमौर शालू परमार सहित गणमान्य व्यक्तियों के अतिरिक्त विभिन्न स्कूलों के बच्चे उपस्थित थे।