अभिषेक मिश्रा/ बिलासपुर
उच्च शिक्षा में ई लर्निंग से हो सकता है बेहतर सुधार। जो बच्चे पढाई में कमजोर होते है उन्हें ई लर्निंग से बार-बार उस विषय को सुन कर वे अपना स्तर सुधार सकते है। यह विकल्प देश भर के कॉलेजों से आए प्राचार्य और प्राध्यापको ने एक दिवसीय सेमीनार में चिंतन करके निकाला। राजकीय महाविद्यालय जुखाला में उच्च शिक्षण के समक्ष चुनौतियां विषय पर राष्ट्रीय स्तर की संगोष्टी का आयोजन किया गया जिसमे देश भर के कॉलेजों में तैनात प्राचार्य तथा प्राध्यापको ने भाग लिया।
उच्च शिक्षा के विकास को गति प्रदान करने व उसकी बाधाओं को समझकर उनके निराकरण के लिए इस एक दिवसीय संगोष्टी का आयोजन किया गया। इस संगोष्टी में हिमाचल प्रदेश विश्वविद्यालय शिक्षा विभाग के पूर्व आचार्य डा. हरवंस सिंह ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की। मुख्यतिथि ने अपने संबोधन में कहा कि आज के समय में हमारे आगे सबसे बड़ी चुनौती शिक्षा में गुणवता लाना और विद्यार्थियों तक शिक्षा को पहुँचाना है जिसके बारे में गहन चिंतन करके इस चुनौती को पूरा करने के लिए कोई रास्ता निकालना पड़ेगा।
इस अवसर पर मुख्यतिथि डा. हरवंस सिंह तथा विशिष्ट अतिथि डा. रमेश कौंडल, डा. करतार ठाकुर हिमाचल विश्वविद्यालय शिमला, डा. अन्जुवाला प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय ङैहर, डा. वसुंधरा भारद्वाज प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय घुमारवीं, प्रो वृजवाला संख्यांन प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय बिलासपुर, प्रो मीना वासुदेव प्राचार्य राजकीय महाविद्यालय झंडूता, पूर्व प्राचार्य मेजर मंजुला शर्मा तथा देश के विभिन्न महाविद्यालयों से आये शोधार्थियों तथा प्राध्यापकों ने अपने-अपने शोध प्रस्तुत किये। विभिन्न वक्ताओ ने इस बात पर बल दिया कि नए नए आयामों के उपयोग द्वारा विद्यार्थियों में कौशल विकास के लिए जागरूकता आएगी।
संगोष्टी की निर्देशिका डा. वसुंधरा भारद्वाज ने ओपनिंग रिमाकर्स में संगोष्टी के लक्ष्यों के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि लर्निंग बुक्स तथा आरसीटी के माध्यम से शिक्षको को प्रशिक्षित करके हिमाचल प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों से प्राध्यापकों की कमी को पूरा किया जा सकता है। जो पढाई में कमजोर छात्र होते है उन्हें ई लर्निंग से बार-बार उस विषय को सुन कर वे अपना स्तर सुधार सकते है। इस अवसर पर प्राचार्य, कार्यकारिणी, महाविद्यालय का समस्त स्टाफ, स्टूडेंट सेंट्रल एसोसिएशन की कार्यकरिणी तथा छात्र छात्राए उपस्थित थे।