राजगढ़ : हाब्बी मानसिंह कला केंद्र में हुआ विजयोत्सव व सम्मान समारोह का आयोजन

कलाधर और कला प्रहरी सम्मान से लोक कलाकार किए गए सम्मानित

राजगढ़, 13 जून : हाब्बी मानसिंह कला केंद्र के संस्थापक जोगेंद्र हाब्बी ने प्रेस को जारी बयान में बताया कि गत दिवस हाब्बी मानसिंह कला केंद्र में इंडिया व एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने पर विजय उत्सव का आयोजन किया गया। हाब्बी मानसिंह कला केंद्र ने इस उपलक्ष में चूड़ेश्वर लोक नृत्य सांस्कृतिक मंडल व आसरा संस्था के उन कलाकारों को कलाधर व कला प्रहरी सम्मान से सम्मानित किया जिन कलाकारों ने जोगेंद्र हाब्बी के नेतृत्व में पिछले दस-बारह सालों से लोक नृत्य प्रतियोगिताओं में सक्रिय होकर के भाग लिया व प्रथम स्थान प्राप्त करने में अहम भूमिका निभाई। 

इस समारोह के मुख्य अतिथि डॉ प्रेम शर्मा सेवानिवृत्त निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग, हिमाचल प्रदेश व पूर्व उपाध्यक्ष कला संस्कृति एवं भाषा अकादमी, हि प्र, सहायक निदेशक भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश रहे और कार्यक्रम की अध्यक्षता पद्मश्री विद्यानंद सरैक द्वारा की गई। बिहारी लाल शर्मा, सेवा सेवानिवृत्त सहायक निदेशक श्री बालकिशन शर्मा, अनिल हारटा जिला भाषा अधिकारी शिमला, स्वतंत्रता सैनानी कल्याण समिति के अध्यक्ष जयप्रकाश चौहान, प्रधान ग्राम पंचायत सुभाष ठाकुर, पूर्व जिला परिषद सदस्या शकुंतला प्रकाश, बलदेव हाब्बी आदि इस कार्यक्रम में विशेष आमंत्रित अतिथि के रूप में शामिल हुए।

इस समारोह में राम लाल वर्मा, सरोज कुमारी, धर्मपाल चौहान व गोपाल हाब्बी को कलाधर सम्मान-2023 प्रदान किया गया। चमन, अनु, संदीप, बलदेव, जितेंद्र, चेतराम, रीना, मुकेश, प्रिया, चिरंजी, सोहनलाल, लीला वर्मा, हंसराज, मनमोहन, रविदत्त, वेद प्रकाश, पायल, सुनील, बिमला आदि कलाकारों को कला प्रहरी सम्मान-2023 प्रदान किया गया।

समारोह में जय शिरगुल महाराज स्वयं सहायता समूह द्राबला व शल्हेच, हास्य कलाकार देशराज तथा चूड़ेश्वर मंडल व आसरा के कलाकारों की प्रस्तुतियां हुई। इस अवसर पर पदम श्री विद्यानंद सरैक ने नाटी की 4 विधाओं की प्रस्तुति दी और जोगेंद्र हाब्बी व सरोज की ढीली नाटी की प्रस्तुति का दर्शकों ने खूब आनंद लिया। इस समारोह में बलदेव हाब्बी, चेतराम हाब्बी, वीर सिंह अत्री व महिला मंडल जालग, द्राबला व शल्हेच ने इंडिया व एशिया बुक ऑफ रिकॉर्ड में नाम दर्ज होने पर जोगेंद्र हाब्बी को अंग वस्त्र ओढ़ाकर उन्हें सम्मानित भी किया।


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