चंबा, 19 दिसंबर : कृषि विभाग जिला द्वारा विकास खंड चंबा की सुंगल पंचायत में किसान जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया। इस शिविर का मुख्य उद्देश्य जल शक्ति विभाग द्वारा लगभग 1.52 करोड़ रुपए से निर्मित उठाऊ जल सिंचाई योजना के पानी के उपयोग के सम्बन्ध में किसानों को जागरूक करना था। इस उठाऊ जल सिंचाई योजना से वर्ष 2018 में 36 हेक्टर कृषि योग्य भूमि को सिंचाई सुविधा का प्रावधान किया गया था। इस योजना से किसानों की सिंचाई के लिए पानी की मांग नहीं होने से यह कृषि विभाग के लिए चिंता का कारण बन गया है।
आयोजित किसान जागरूकता शिविर में उप निदेशक कृषि डॉ. कुलदीप सिंह धीमान ने किसानों को जानकारी दी कि सही समय पर और सही मात्रा में फसलों की सिंचाई करने से पैदावार में बहुत अंतर आता है। सिंचाई सुविधा होने पर फसल विविधीकरण से किसान अपनी आय को बढ़ा सकते है। किसानों से बातचीत करने के उपरांत उन्होंने पाया कि किसान केवल मक्की व गेहूं की फसल ही उगाते हैं। यहाँ के किसानों का कहना है कि वर्ष 2018 से पहले जब सिंचाई सुविधा उपलब्ध नहीं थी, तो मौसमी या बेमौसमी सब्जियों को उगाने का प्रयास नहीं किया गया। युवा नौकरी की तलाश में या तो जिला से बाहर चले गए या चम्बा शहर में जाकर व्यापारियों के पास नौकरी करने लगे। इसलिए इस गांव के युवाओं का शहर में जा कर किसी और कार्य में लग जाने, दूसरा इस क्षेत्र में बंदरों की बहुत समस्या व तीसरा जमीन का छोटे छोटे टुकड़ों में बटे होने के कारण सब्जियों की खेती करने में समस्या आ रही है।
स्थानीय किसानों ने बताया कि बंदरों की समस्या को ध्यान में रखते हुए सभी किसानों को फसलों की बिजाई एक ही समय पर करनी पड़ती है। इसलिए सभी किसान बारिश होने के उपरांत एक ही समय में केवल अनाज की फसलों की बिजाई करते हैं। उठाऊ जल सिंचाई योजना से पानी की आवश्यकता नही पड़ती है। किसानों की इन बातों को ध्यान में रखते हुए उप निदेशक कृषि ने उपस्थित किसानों को जानकारी दी कि फसलों को सही समय पर और सही मात्रा में पानी उपलब्ध करवाने से पैदावार बहुत अधिक मात्रा में बढ़ जाती है। यदि किसान गेहूं की फसल लगाने से पहले खेतों की सिंचाई करते और 15 से 30 अक्टूबर के बीच में बिजाई कर देते तो भी जल शक्ति विभाग द्वारा निर्मित इस योजना का लाभ उठा सकते थे।
15 नवंबर के बाद गेहूं की बिजाई करने से प्रतिदिन के हिसाब से पैदावार में कमी आती है। इसके बाद यदि बारिश न हो तो गेहूं की फसल में 5 बार सिंचाई करनी पड़ती है, और यदि समय पर सिंचाई न करें तो फसल की पैदावार में बहुत कमी आ जाती है। उन्होंने कहा कि खेतों में सिंचाई जल के सही मात्रा में वितरण के लिए कृषि विभाग द्वारा किसानों को 80 % अनुदान दिया जाता है। कहा कि इस वर्ष कृषि विभाग द्वारा जिला चम्बा के किसानों को 1535 क्विंटल गेहूं की सुधरी किस्मों के बीज उपलब्ध करवाए हैं। यदि किसान सिंचाई जल और खाद का सही मात्रा में उपयोग करें तो गेहूं की इन किस्मों से एक बीघा से 4 क्विंटल तक गेहूं की पैदावार ले सकते है। यदि सुंगल के किसान बेमौसमी सब्जियों की खेती करेंगे तो घर बैठे खेती एक रोजगार का साधन बन सकती है।
कृषि विभाग द्वारा किसानों को सभी प्रकार की सब्जियों के बीज 50 % अनुदान पर उपलब्ध करवाए जाते है। बंदरों की समस्या से छुटकारा पाने के लिए किसान कृषि विभाग के माध्यम से सोलर बाड़ लगाने के लिए 80 % अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। इस किसान जागरूकता शिविर में उपस्थित डॉ. ईश्वर ठाकुर ने किसानों को कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की जानकारी दी। उन्होंने किसानों को मुख्यमंत्री खेतिहर मजदूर योजना की जानकारी दी और कहा कि यदि खेती करते समय किसी किसान की दुर्घटना से मृत्यु हो जाये तो 3 लाख रुपये तक मुआवजा मिलता है। और किसानों को किसान क्रेडिट कार्ड बनाने के लिए भी प्रोत्साहित किया।
उप मंडलीय भू संरक्षण अधिकारी डॉ. योगेंद्र पाल व कृषि विकास अधिकारी डॉ. भानु प्रताप सिंह ने खेती में पानी के महत्व की जानकारी दी। कृषि विभाग द्वारा चलाई जा रही सिंचाई योजनाओं की जानकारी दी। किसान जागरूकता शिविर के अंत में उद्यान विभाग से डॉ. तृप्त बलोरिया के उद्यान विभाग की योजनाओं की जानकारी दी। स्थानीय ग्राम पंचायत प्रधान , उपप्रधान, कृषि विभाग से डॉ. अरविंद चहल के अतिरिक्त कृषि विभाग के अन्य अधिकारी भी उपस्थित रहे।