धर्मशाला, 30 सितंबर: राष्ट्रीय महिला आयोग और राज्य महिला आयोग के संयुक्त तत्वाधान में घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 पर जिला कांगड़ा के महिला संरक्षण अधिकारियों के लिए एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन किया गया जिसकी अध्यक्षता राज्य महिला आयोग की अध्यक्षा डॉ.डेजी ठाकुर ने की।
उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा जैसी सामाजिक बुराई को समाप्त करने के लिए परिवारों के मध्य अधिक सामंजस्य तथा पारिवारिक मूल्यों में विश्वास आवश्यक है। किसी भी देश के उत्थान के लिए महिलाओं का सशक्तिकरण, संरक्षण बहुत आवश्यक है। घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को शारीरिक, मानसिक, आर्थिक, लैंगिक हिंसा से सुरक्षा प्रदान करता है। अधिनियम के लागू होने के पश्चात महिलाओं पर होने वाली घरेलू हिंसा में उल्लेखनीय कमी आई है।
एक ही छत्त के नीचे हिंसा से पीड़ित महिलाओं एवं बालिकाओं को एकीकृत रूप से सहायता एवं सहयोग प्रदान करने के लिए प्रदेश भर में वन स्टॉप सेंटर(सखी)प्रत्येक जिला में स्थापित किए गए हैं। राज्य महिला आयोग की अध्यक्ष ने कहा कि घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 महिलाओं को हर प्रकार के उत्पीड़न से संरक्षण प्रदान करता है।
ऐसे मामलों में घरेलू हिंसा से पीड़ित महिलाएं अपने विरूद्ध हो रहे अत्याचारों के खिलाफ मामला दर्ज नहीं करवाती हैं। जिसके लिए उन्हें और अधिक जागरूक किये जाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि घरेलू हिंसा के अधिकतर मामले आपसी बातचीत से सुलझाए जा सकते हैं।
ठाकुर ने कहा कि महिला एवं बाल विकास तथा पुलिस विभाग को अधिक समन्वय के साथ कार्य करना चाहिए ताकि घरेलू हिंसा के मामलों की जानकारी प्राप्त की जा सके। ऐसे मामलों में महिला एवं बाल विकास विभाग के संरक्षण अधिकारियों की महत्वपूर्ण भूमिका रहती है। उन्होंने प्रशिक्षण कार्यक्रम में उपस्थित सभी संरक्षण अधिकारियों तथा अन्य का आह्वान किया कि घरेलू हिंसा की शिकायतों का त्वरित संज्ञान लें और आवश्यकता पड़ने पर मामले की जानकारी उचित स्तर तक प्रेषित करें ताकि पीड़िता महिला को अविलम्ब न्याय प्राप्त हो सके।
इस अवसर पर हिमाचल प्रदेश राज्य महिला आयोग के विधि अधिकारी अनुज वर्मा, एडवोकेट विनय सोनी तथा एडवोकेट विनय शर्मा ने घरेलू हिंसा अधिनियम-2005 की विस्तृत जानकारी प्रदान की और उदाहरण देकर अधिनियम के विभिन्न पहलुओं पर प्रकाश डाला। जिला कार्यक्रम अधिकारी रणजीत सिंह ने मुख्यातिथि का स्वागत किया।एक दिवसीय प्रशिक्षण कार्यक्रम में सभी सीडीपीओ सहित महिला एवं बाल विकास विभाग के आंगनबाड़ी पर्यवेक्षक एवं संरक्षण अधिकारी मौजूद थे।