चंबा, 28 जुलाई : भाषा एवं संस्कृति विभाग चंबा के सौजन्य से ऐतिहासिक मिंजर मेले के इतिहास एवं वर्तमान स्वरूप पर राष्ट्रीय सूचना विज्ञान केंद्र के वीडियो कांफ्रेंस कक्ष से वेबीनार के माध्यम से परिचर्चा आयोजित की गई। सहायक आयुक्त रामप्रसाद शर्मा बतौर मुख्य अतिथि मौजूद रहे। विजय शर्मा बतौर मुख्य वक्ता के रूप में परिचर्चा में शामिल रहे।
जिला के वरिष्ठ इतिहासकार देवेंद्र पुरी, पर्यावरणविद कुलभूषण उपमन्यु, शिक्षाविद प्रभात राणा, साहित्यकार पुरुषोत्तम दास अत्तर, बलदेव मोहन खोंसला, अशोक दर्द, भूपेंद्र सिंह जसरोटिया, एमआर भाटिया, युद्धवीर टंडन, सेवा हिमालय से मनुज शर्मा और उपायुक्त चंबा के फेसबुक पेज से भी जिला के गणमान्य लोग परिचर्चा में शामिल रहे।
सहायक उपायुक्त रामप्रसाद शर्मा ने परिचर्चा में दिए गए समस्त सुझावों के दस्तावेज तैयार कर मिंजर मेला आयोजन समिति के अध्यक्ष एवं उपायुक्त चंबा को आवश्यक कार्रवाई हेतु प्रस्तुत करने के लिए जिला भाषा अधिकारी को निर्देश दिए। ताकि आगामी मिंजर मेले के बेहतरीन प्रबंधन में शामिल किया जा सके।
परिचर्चा में जिला भाषा अधिकारी तुकेश शर्मा ने बैठक का संचालन करते हुए मुख्य अतिथि सहित समस्त साहित्यकारों व वेबीनार से जुड़े लोगों का अभिनंदन करते हुए कहा कि जिला प्रशासन द्वारा ऐतिहासिक मिंजर मेले के दौरान मिंजर के इतिहास व वर्तमान स्वरूप को लेकर विशेषकर युवा पीढ़ी को रूबरू करवाना व परंपराओं से जोड़ने के लिए प्रयासरत है।
परिचर्चा में शामिल समस्त साहित्यकारों एवं इतिहासकारों ने मिंजर के इतिहास व वर्तमान स्वरूप को लेकर विस्तृत तौर पर अपने-अपने वक्तव्य रखें। भविष्य में मिंजर मेले के स्वरूप को और बेहतर बनाने के लिए ग्रामीण स्तर पर भी मेले के आयोजन को लेकर चर्चा की गई। यह निर्णय भी लिया गया कि जिले की समृद्ध कला और संस्कृति के संरक्षण और संवर्धन के लिए प्राथमिकता से कार्य किया जाए।