कुल्लू, 26 जून : संयुक्त किसान मोर्चा पूरे देश खेती बचाओ, लोकतंत्र बचाओ के नारे के साथ अपने आंदोलन के नए चरण की शुरुआत की है। शनिवार को देश भर में किसान राजभवन के सामने धरना देकर राज्यपाल के माध्यम से देश के राष्ट्रपति को अपना रोष पत्र सौंप रहे हैं। हिमाचल प्रदेश में भी शनिवार को किसान राजभवन के सामने प्रदर्शन कर अपना रोष पत्र राज्यपाल के माध्यम से राष्ट्रपति को दे रहे हैं। इसी संदर्भ में हिमाचल किसान सभा राज्य कमेटी के आह्वान पर कुल्लू में भी हिमाचल किसान सभा द्वारा जिलाधीश कार्यालय के बाहर किसानों द्वारा प्रदर्शन किया गया।
हिमाचल किसान सभा के राज्य कमेटी सदस्य व जिला उपाध्यक्ष मोती राम कटवाल ने कहा कि किसान आंदोलन को सात महीने हो गए हैं लेकिन केंद्र सरकार अपने अड़ियल रवैये पर अड़ी है। उन्होंने कहा कि जब तक ये तीनों काले कृषि कानून वापस नहीं होते तथा न्यूनतम समर्थन मूल्य गारंटी कानून नहीं बनाया जाता यह आंदोलन जारी रहेगा।
हिमाचल किसान सभा कई समय से मांग कर रही है कि बिजली संशोधन 2020 को वापिस लिया जाए, मजदूर विरोधी थारो लेबर कोड निरस्त किए जाएं, मनरेगा में 200 दिनों का काम और 300 रुपए दिहाड़ी दी जाए, कल ग्रेड सेब का समर्थन मूल्य 16 रुपये किलो किया जाए, खाद की बढ़ी हुई कीमतों को वापिस लिया जाए, किसानों को सभी प्रकार की दवाइयों व बीजों पर सब्सिडी बहाल की जाए।
स्वास्थ्य संस्थाओं में खाली पड़े सभी पदों को शीघ्र भरा जाए, दूध का न्यूनतम दाम 30 रुपये प्रति लीटर तय किया जाए, सभी आयकर मुक्त परिवारों को 7500 रुपये की आर्थिक मदद दी जाए, हर व्यक्ति को कोरोना महामारी के दौर में दस किलो राशन उपलब्ध किया जाए।
इस प्रदर्शन को संबोधित करते हुए सीटू, के जिलाध्यक्ष सरचन्द ठाकुर ने कहा कि किसानों के इस आंदोलन में मजदूर भी कन्धे से कन्धा मिलाकर खड़े हैं, और सीटू इस किसान आंदोलन का समर्थन कर रहा है अगर सरकार किसानों की इन जायज मांगों को शीघ्र समाधान नहीं करती है तो आंदोलन को और तेज किया जाएगा। प्रदर्शन में चमन ठाकुर, राम चन्द, पवन कुमार, खेम चन्द, अर्जुन, ममता, सीटू जिला महासचिव राजेश ठाकुर आदि उपस्थित रहे।