एमबीएम न्यूज़/ शिमला
एक सप्ताह से पेयजल न मिलने के कारण शिमला जिला के विकास खण्ड मशोबरा की ग्राम पंचायत पीरन के गांव ट्रहाई के लोगों में त्राहि-त्राहि मची हुई है। सिंचाई एवं जन स्वास्थ्य विभाग कुभंकरण की नींद सोया है। इस गांव के लोगों द्वारा शुक्रवार को खाली बर्तनों को लेकर आईपीएच विभाग के खिलाफ रोष प्रकट किया और विभाग के खिलाफ नारे लगाए गए।
ट्रहाई गांव के प्रीतम सिंह ठाकुर, राजेश ठाकुर, सुरेश ठाकुर, इंदिरा ठाकुर, रोशन लाल, देवेन्द्र कुमार सहित अनेक लोगों ने बताया कि ट्रहाई गांव कई वर्षो से पेजयजल समस्या से जूझ रहा है। इस वर्ष अत्यधिक गर्मी होने के कारण इस गांव के लोगों को पानी न मिलने के कारण बहुत परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।
उन्होने बताया कि पेयजल की समस्या बारे गांव के लोगों द्वारा अनेकों बार अधीशासी अभिंयता आईपीएच शिमला, सहायक अभियंता उपमंडल कोटी एवं कनिष्ठ अभियंता से अनेकों बार गुहार लगा चुकें परन्तु विभाग के अधिकारी लोगों की बात को अनसुना करके उनसे केवल मात्र आश्वासन मिल रहे हैं। परन्तु धरातल पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। उन्होने कहा कि पूर्व भाजपा सरकार के दौरान गांव में एक हैंडपंप स्थापित किया गया था।
जोकि सूख गया है। प्रीतम सिंह ठाकुर और राजेश ठाकुर का कहना है कि आईपीएच विभाग की लापरवाही के कारण गत वर्ष बरसात के दौरान ट्रहाई गांव के लोगों ने छत से टपकने वाले बारिश के पानी से अपनी प्यास बुझानी पड़ी थी। उस दौरान भी विभाग के अधिकारियों द्वारा पेयजल की समस्या पर कोई गौर नहीं की गई। उल्लेखनीय है कि ट्रहाई गांव के लिए लगभग 30 वर्ष पहले मलावण नामक जल स्त्रोत पेयजल योजना तैयार की गई थी।
परन्तु कुछ वर्षों पश्चात यह स्त्रोत सूख जाने से लगभग चार सौ की आबादी वाले गांव के लोगों को काफी परेशानी उठानी पड़ी थी। तत्पश्चात विभाग द्वारा मंगलेड खडड से पजाल नामक गांव के लिए उठाऊ पेयजल योजना निर्मित की गई जिससे साथ इस गांव को भी जोड़ा गया था। उन्होने बताया कि इस योजना से अन्य गांव के लोगों द्वारा विभाग के फील्ड स्टाफ की मिलीभगत होने से अवैध रूप से पेयजल का इस्तेमाल सिंचाई के लिए किए जाने लगा जिस कारण ट्रहाई गांव के लोगों को पेयजल की समस्या गत तीन वर्षो से विकराल हो गई है।लोगों को अपनी जेब से पानी खरीदकर गुजारा करना पड़ रहा है।