एमबीएम न्यूज़ /धर्मशाला
कांगड़ा जिला में स्वयं सहायता समूह लोगों की जीवन को बेहतर बनाने में बहुत मददगार साबित हो रहे हैं। जिला की महिलाएं स्वयं सहायता समूह बना कर बदलाव की कहानियाँ रच रहीं हैं। ऐसी ही सफलता की एक कहानी है बैजनाथ विकास खण्ड की ग्राम पंचायत धानग की महिलाओं की, जिन्होंने राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के तहत अनामिका नाम से स्वयं सहायता समूह बनाया और जीवन में बदलाव लाया।
समूह की महिलाएं स्वैटर बुनाई व सब्जी उत्पादन का काम कर रही हैं और आत्मनिर्भर बनी हैं। अनामिका स्वयं सहायता समूह की अध्यक्ष श्रेष्ठा बताती हैं कि इसके गठन से आर्थिक रूप से तो लाभ हुआ ही समाज में प्रतिष्ठा भी बढ़ी। वे बताती हैं कि गरीब परिवारों की महिलाओं ने जब मिलकर कुछ करने का ठाना तो फिर पीछे मुड़ कर नहीं देखा। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के तहत उन्हें 25 हजार रुपए का रिवॉलविंग फंड मिला, जिससे उन्होंने अपना काम शुरू किया। उन्होंने बताया कि विकास खंड कार्यालय के कर्मचारी समय-समय पर उन्हें मार्गदर्शन देते रहते हैं, जिससे बड़ी मदद रहती है।
बकौल श्रेष्ठा ‘राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन से जुड़कर वे सब घरेलू कार्यों का निवर्हन करते हुए घर में स्वरोजगार से हर महीने के कोई तीन-तीन हजार रुपये के लगभग कमा रही हैं।इसी गांव की समूह से जुड़ी अंबिका देवी बताती हैं कि पहले हम दूसरों पर निर्भर थीं लेकिन अब अपनी कमाई से अब वे आत्मनिर्भर बन गई हैं। अब अपने बच्चों को पढ़ाने लिखाने और अन्य जरूरतों का का खर्च खुद उठा रही हैं।समूह की सदस्य इंदु का कहना है कि प्रत्येक सदस्य बचत के रूप में प्रति माह सौ रुपये इकट्ठा करती है तथा उसी बचत से वे आपस में लेन-देन करती हैं।
स्वयं सहायता समूह की दो अन्य सदसय सीता और रीता का कहना है कि वे सब अब अन्य महिलाओं को भी जागरूक कर रही हैं, ताकि वे भी उन्हीं की तरह आत्मनिर्भर बन सकें। राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन ने उन्हें आत्मनिर्भर बनाने में बड़ी भूमिका निभाई है।डीआरडीए कांगड़ा के परियोजना अधिकारी मुनीष शर्मा बताते हैं कि राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित एक गरीबी उन्मूलन परियोजना है। यह योजना ग्रामीण गरीबों के स्वरोजगार और संगठन को बढ़ावा देने पर केन्द्रित है।
इस कार्यक्रम के पीछे मूल विचार गरीबों को स्वयं सहायता समूहों में संगठित करना और अच्छे स्वरोजगार के लिए सक्षम बनाना है। इसके लिए स्वयं सहायता समूह को 25 हजार रुपए का रिवॉलविंग फंड दिया जाता है, साथ ही बैंकों से सस्ती दरों पर लोन की व्यवस्था की जाती है।
क्या कहते हैं जिलाधीश ….
जिलाधीश कांगड़ा संदीप कुमार का कहना है कि कांगड़ा जिला में महिलाओं को स्वरोजगार अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने एवं आत्मनिर्भर बनाने के उद्देश्य के साथ स्वयं सहायता समूहों के गठन पर बल दिया जा रहा है। इसी के दृष्टिगत राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन कार्यक्रम के तहत जिला में अधिक से अधिक महिलाओं को इस कार्यक्रम से जोड़ कर स्वयं सहायता समूह बनाए जा रहे हैं, ताकि वे आर्थिक और सामाजिक रूप से सशक्त बन सकें।