अभिषेक मिश्रा/बिलासपुर
100 वर्षो से अधिक समय से बिलासपुर नगर के डियारा सेक्टर में चल रही प्रसिद्ध श्री राम नाटक मंचन की दूसरी संध्या में भगवान श्री राम की लीला को देखने के लिए दर्शकों का सैलाब इस कदर उमड़ा कि पंडाल में तिल धरने तक जगह शेष नहीं बची थी। इस संध्या के मुख्य आकर्षण दृश्य श्री राम जन्मोत्सव और ताड़का वध को देखने के लिए दर्शक आठ बजे से ही पंडाल में जुटना शुरू हो गए थे। दूसरी संध्या के प्रथम दृश्य में महाराजा दशरथ को जब कुवंर उत्पन्न होने का समाचार मिलता है, तो समूची अयोध्या नगरी में मंगल कार्यों में मग्न हो जाती है। वहीं भरी राजसभा में आकर विश्वामित्र दशरथ से कहते हैं कि उनकी तपस्या में ताड़का, मारीच और सुबाहु उत्पात मचाते हैं इसलिए आप अपने दोनो कुंवर राम और लक्ष्मण को उनके साथ आश्रम में भेजे।
काफी तर्क-वितर्क के बाद महाराजा दशरथ उन्हें विश्वामित्र के साथ भेज देते हैं। ताड़का का अभिनय कर रहे नितिन तांडी तथा सहयोगियों ने बीच पंडाल में आकर दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। जहां दोनो भ्राता ताड़का का वध कर देते हैं। इसी दौरान उन्हें जनक पुत्री सीता के स्वयंवर की जानकारी मिलती है। वे मिथिलापुरी की ओर प्रस्थान करते हैं। रास्ते में उन्हें विरान जंगल में एक उपेक्षित आश्रम दिखाई देता है। जहां प्रभु राम विश्वामित्र से इसका रहस्य पूछते हैं। विश्वामित्र बताते हैं यहां गौतम ऋषि का आश्रम हुआ करता था। एक बार इंद्र ने गौतम ऋषि का वेश धारण कर गौतम ऋषि को मिथ्या करवाया। इंद्र उनके आश्रम में घुस गया। गौतम ऋषि को जब इस बारे में पता चला तो उन्होंने अपनी पत्नी आहिल्या को श्राप दिया कि तुम तब तक शिला बनकर रहोगी जब तक भगवान स्वयं तु हें स्पर्श नहीं कर लेते।
विश्वामित्र की आज्ञा से प्र भाभुराम ने शिला को स्पर्श किया। पत्थर की शिला फट गई जिसमें से माता आहिल्या प्रकट हुई और श्राप मुक्त हुई। आहिल्या के किरदार को पारस गौतम ने बखूबी निभाया। जबकि इस राम व लक्ष्मण का किरदार नवीन सोनी और रिशु शर्मा निभा रहे हैं। इसके अलावा विश्वामित्र राजेंद्र चंदेल, सुमंत रजत कुमार, महाराजा दशरथ का किरदार सुशील पुंडीर ने निभाया। दूसरी संध्या में श्री राम नाटक के पूर्व प्रधान, पूर्व निर्देशक तथा दर्जनों किरदारों को निभा चुके राम लाल पुंडीर ने बतौर मुख्यतिथि शिरकत की। समिति के पदाधिकारियों ने उन्हे शॉल व टोपी पहना कर स्वागत किया। इस अवसर पर समिति के महासचिव मदन कुमार, निर्देशक अनिल मैहता, कोषाध्यक्ष रितेश मैहता, बृजेश
कौशल व विजय कुमार मौजूद रहे।