एमबीएम न्यूज़/ऊना
आईओसीएल डिपो पेखूवेला कंपनी द्वारा गैर कानूनी ढंग से निकाले गए 40 मजूदरों को लेकर भवन एवं सड़क निर्माण मजदूर यूनियन सीटू का संघर्ष जारी है। पिछले 10 दिनों से यूनियन के सदस्य आईओसीएल डिपों के गेट के बाहर बैठकर मांगों को लेकर आवाज बुलंद कर रहे है। यूनियन के प्रधान रविंद्र सिंह की अध्यक्षता में वीरवार को कामगारों ने गेट के बाहर कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की। इस अवसर पर सीटू के महासचिव गुरनाम सिंह भी मौजूद रहे। गुरनाम सिंह ने कहा कि जब तक कंपनी से निकाले गए मजदूरों को पुन: काम पर नहीं रखा जाता, तब तक धरना जारी रहेगा।
उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि प्रदेश सरकार कंपनियों में श्रम कानून लागू करवाने में पूरी तरह से विफल है। श्रम काूननों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रदेश सरकार को भी मजदूरों की मांग को देखते हुए उचित कदम उठाने चाहिए। बता दें कि कामगार यूनियन अपनी मांगों को लेकर 17 सितंबर से धरने पर बैठे हुए हैं।
यूनियन के प्रधान रविंद्र सिंह ने कहा कि इंडियन ऑयल कॉरपोर्रेशन के स्टोरेज टैंक व पाईप लाईन सहित अन्य कार्य कंपनियों व ठेकेदारों द्वारा करवाया जा रहा है। कंपनी व ठेकेदार कार्यरत्त मजदूरों को न्यूनतम वेतन, ओवर टाईम, ईपीएफ, छुट्टियां व श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाओं को लागु नहीं कर रहे हैं।
उन्होंने बताया कि मांग को लेकर केंद्रीय संयुक्त श्रमायुक्त को भी ज्ञापन प्रेषित कर श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाएं लागू करने की मांग उठाई। जिस पर समझौता वार्ता चल रही है। श्रम कानूनों के तहत समझौता वार्ता के दौरान प्रबंधकों द्वारा मजदूरों के सेवा कार्य में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता। न ही उन्हें नौकरी से बाहर निकाला जा सकता है। लेकिन कंपनी ने बदले की भावना से काम करते हुए 40 मजदूरों को बिना नोटिस दिए बाहर निकाल दिया।
प्रधान ने बताया कि मजदूरों को जो ईपीएफ काटा जाता है, उसे ईपीएफ विभाग में जमा नहीं करवाया जाता। कंपनियों व ठेकेदारों ने पूरी तरह जंगल राज कायम कर रखा है। जो मजदूर अपने हक की बात करें, तो उसका बिना हिसाब किए कंपनी से बाहर निकाल दिया जाता है। इस अवसर पर सचिव मुनीष, नरेश चंद, शिंदा कुमार, दीपक कुमार, बलदेव सिंह, वैरभ सिंह, चंदन कुमार, सुखराम, सोमनाथ सहित अन्य मजदूर उपस्थित रहे।