एमबीएम न्यूज़/ऊना
ओसीएल डिपो पेखूवेला कंपनी द्वारा निकाले गए 40 मजूदरों को कंपनी में वापिस लेने व अन्य मांगो को लेकर कर्मियों का प्रदर्शन 34 दिनों से जारी है। सोमवार को ऊना सदर के विधायक ने भी कर्मियों का समर्थन करते हुए आवाज बुलंद की है। विधायक सतपाल रायजादा भी सोमवार को पेखूबेला स्थित कंपनी परिसर पहुंच गए। विधायक सतपाल सिंह रायजादा व कामगारों ने कंपनी प्रबंधन के खिलाफ जमकर नारेबाजी की व गुबार निकाला। विधायक सतपाल सिंह रायजादा ने कंपनी प्रबंधन को चेतावनी देते हुए कहा कि 28 अक्तूबर तक यदि निकाले गए। कामगारों को वापिस काम पर न लिया गया तो यह आंदोलन उग्र रूप ले लेगा, जिसकी जिम्मेवारी कंपनी प्रबंधन की होगी। साथ ही कहा कि हिमाचल के तमाम उद्योगों में 70:30 के अनुपात में हिमाचलियों को काम मिले।
विधायक सतपाल रायजादा ने कहा कि प्रदेश सरकार कंपनियों में श्रम कानून लागू करवाने में पूरी तरह से विफल है। श्रम काूननों का उल्लंघन करने वालों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की जा रही है। प्रदेश सरकार को भी मजदूरों की मांग को देखते हुए उचित कदम उठाने चाहिए। उन्होंने कहा कि प्रदेश के तामाम उद्योगों में काम करने वालों में 70 प्रतिशत हिमाचली होने चाहिए। लेकिन यहां पर नियमों की धज्जियां उड़ाई जा रही हैं। इसके अलावा क्षेत्र के प्रभावित गांवो के विकास के लिए सीएसआर प्लान के प्रावधानों के अनुसार फंड का भी प्रावधान किया जाना चाहिए। जिससे क्षेत्र में पक्के रास्तों का निर्माण, सामुदायिक भवन, महिला मंडल, स्कूल, आंगनबाड़ी केंद्र भवन, खेल के मैदान, लाईटस सहित अन्य कार्य होने चाहिए, लेकिन अभी तक इनमें से कोई भी कार्य नही हुआ है।
इसके अलावा आईओसीएस डंप पेखूबेला में प्रदेश के लागों के ट्रंक, टैंकर व जेसीबी को काम पर लगाना चाहिए, ताकि उनको घर के समीप ही काम मिल सके। विधायक ने कहा कि हम बाहरी लोगों के विरोध में नही है, लेकिन इसमें नियमों के अनुसार काम होना चाहिए। इसके अलावा सीटू के जिला प्रधान गुरनाम सिंह ने कहा कि कंपनी सरेआम श्रम नियमों की उलंघना कर रही है। यदि कंपनी समय रहते अपनी हरकतों से बाज नहीं आई तो उग्र आंदोलन किया जाएगा। सचिव विजय शर्मा ने कहा कि कंपनी व ठेकेदार कार्यरत्त मजदूरों को न्यूनतम वेतन, ओवर टाईम, ईपीएफ, छुट्टियां व श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाओं को लागु नहीं कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि मांग को लेकर केंद्रीय संयुक्त श्रमायुक्त को भी ज्ञापन प्रेषित कर श्रम कानूनों के तहत मिलने वाली सुविधाएं लागु करने की मांग उठाई। जिस पर समझौता वार्ता चल रही है।
श्रम कानूनों के तहत समझौता वार्ता के दौरान प्रबंधकों द्वारा मजदूरों के सेवा कार्य में कोई बदलाव नहीं किया जा सकता और न ही उन्हें नौकरी से बाहर निकाला जा सकता है, लेकिन कंपनी ने बदले की भावना से काम करते हुए 40 मजदूरों को बिना नोटिस दिए बाहर निकाल दिया। प्रधान ने बताया कि मजदूरों को जो ईपीएफ काटा जाता है, उसे ईपीएफ विभाग में जमा नहीं करवाया जाता। इस अवसर पर नंगड़ा के प्रधान रणविजय, नरेंद्र कुमार, बिंद्र कुमार, हरदेव सिंह, प्रीतम चंद, सुरेश कुमार, सतीश कुमार, संदीप कुमार, महिंद्र सिंह, संजय कुमार, अरूण कुमार, छिंदा कुमार, नरेश कुमार, सोमा देवी, कांता देवी, भोला देवी, ऊषा देवी, गगनदीप कौर, तीतो देवी, निर्मला देवी सहित अन्य उपस्थित रहे।