नाहन, 24 सितंबर : प्लान फाउंडेशन के द्वारा शनिवार को शिमला में ग्रीन एक्शन वीक अभियान इंडिया 2022 के अंतर्गत स्टेकहोल्डर कंसलटेशन का आयोजन किया। इस अवसर पर कार्यक्रम में बतौर मुख्यातिथि के रूप में शिरकत राष्ट्रीय कौशल विकास निगम के राज्य अधिकारी जितेन्द्र शर्मा ने की। उन्होंने कहा कि इस कार्यशाला में प्लास्टिक के उपयोग को हतोत्साहित करने, तथा सतत उपभोग को प्रोत्साहित करने पर बल दिया गया। कार्यक्रम में घर से प्रतिदिन निकलने वाले जैविक कचरे को खाद में बदल कर किचन गार्डन को विकसित करने के बारे में बताया।
हिमाचल सरकार की प्लास्टिक खरीद योजना के बारे में समुदाय को इसमें सहयोग करने की बात की। पिछले वर्ष कट्स इंटरनेशनल ने योजना विभाग के सहयोग से राज्य स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया था। उसी परिपेक्ष्य में आज की इस कार्यशाला में विभिन्न संस्थाओं के प्रतिनिधियों ने अपने स्तर पर उठाए गए कदमों की चर्चा की। प्लान फाउंडेशन के निदेशक (सदस्य) संगीता ने पर्यावरण के बचाव के लिए सतत उपभोग को प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने महिलाओं से आग्रह किया कि दुकान से समान लाने के लिए वे अपने साथ घर से बैग लेकर जाए। इस तरह से दुकानों से अनावश्यक बेगों के इस्तेमाल को कम किया जा सकेगा। उन्होंने इस क्षेत्र में फाउंडेशन के द्वारा किए जा रहे प्रयासों के बारे में भी अवगत कराया। उन्होंने ग्रीन ऐक्शन वीक 2022 में भागीदारी के लिए कट्स इंटरनेशनल का धन्यवाद किया ।
वहीं, कार्यशाला में मंडी जिला से श्रवण कुमार ने बताया कि कार्यशाला में कंपनियों को कानून अपने उत्पादों को बेकार होने पर वापिस लेने की प्रणाली स्थापित करने को आवश्यक रूप से लागू करने के लिए सभी हितधारकों को सरकार पर दबाव बनाने पर भी सहमति हुई। अभी तक कंपनियां ऐसा करने से बच रही है। उन्होंने सैमसंग का उदाहरण देते हुए कहा कि कम्पनी की वेबसाइट पर हिमाचल के लिए बेकार हो चुके उत्पादों को वापिस लेने के लिए कोई संपर्क नहीं दिया है, जबकि पंजाब व हरियाणा के लिए संपर्क दिया है।वहीं, विकसित और विकासशील देशों के संबंध में उपभोग का स्तर काफी भिन्न है, क्योंकि यह सुनिश्चित करता है कि दुनिया के सबसे समृद्ध प्रदेशों में खपत 80% से अधिक हो , जबकि गरीब क्षेत्रों में केवल 1% ही हो।
कार्यशाला में दुनिया भर में व्यक्तियों, समुदायों और संगठनों को पर्यावरण जागरूक जीवन शैली अपनाने के लिए, इस हेतु अन्य लोगों को प्रभावित करने के लिए सामूहिक पहल की आवश्यकता पर बल दिया गया। कार्यशाला में सभी प्रतिभागियों को घर के हरित कचरे को खाद में परिवर्तित करने हेतु बैक्टीरिया आधारित पदार्थ का भी वितरण किया गया है कार्यक्रम में बतौर मुख्य स्रोत व्यक्ति तरुण गुप्ता (राज्य विज्ञान तकनीक व पर्यावरण परिषद से सेवानिवृत) ने कहा कि स्थायी खपत में प्राकृतिक संसाधनों के समुचित प्रबंधन पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। उन वस्तुओं और सेवाओं में उनके उपयोग को कम करना जोकी परिमित धन को संरक्षित करने और भविष्य को खतरे में डाले बिना वर्तमान पीढ़ीगत जरूरतों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के उद्देश्य से बुनियादी जरूरतों के अनुरूप हैं।
उन्होंने बताया कि वर्षों में, उत्पादन को नियंत्रित करने और पर्यावरणीय प्रभाव का अनुमान लगाने के लिए स्थायी खपत को सार्वजनिक नीतियों में एकीकृत किया गया है। दुनिया की आबादी ने पिछले 50 वर्षों में पिछले सभी वर्षों की तुलना में कई अधिक वस्तुओं और सेवाओं का उपभोग किया है, जिसने अर्थव्यवस्था की वृद्धि और जीवन की बेहतर गुणवत्ता में योगदान दिया है, लेकिन साथ ही पर्यावरण के क्षेत्र में भी गिरावट आई है।
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