रिकांगपिओ, 05 जनवरी : वर्ष 2006 में तत्कालीन यूपीए अध्यक्ष सरकार के समय वन अधिकार अधिनियम 2006 बना जो कि जनजातीय लोगों के लिए एक ऐतिहासिक निर्णय लिया था। मगर वर्ष 2008 में भाजपा की सरकार बनी तो कानून को लागू करने की बजाए उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया था।
मंगलवार को रिकांगपिओ में किन्नौर के विधायक जगत सिंह नेगी ने पत्रकारवार्ता करते हुए यह बात कही। उन्होंने कहा कि कानून के तहत उन जनजातीय लोगों को मालिकाना हक दिलाना था जो कई सालों से वन भूमि पर जीवन निर्वाह कर रहे थे। देश के कई राज्यों में कानून को लागू किया गया मगर हिमाचल प्रदेश में भाजपा सरकार इस बारे में केंद्र सरकार से स्पष्टीकरण मांगने में ही लगी रही।
मगर प्रदेश में कांग्रेस सरकार के आते ही नियम को लागू करने का काम किया गया, ग्राम स्तर पर कमेटियों का निर्माण किया गया। इसी बीच भाजपा के शासन में किन्नौर कांग्रेस पार्टी ने ही वर्ष 2019 में किन्नौर जिला के तीनों खंडों में एक महीना लगातार नोतोड़ और एफआरए के मुद्दों को लेकर आंदोलन किया और अभी हाल में विधानसभा के शीतकालीन सत्र में भी इस मामले को सदन में जोरदार तरीके से उजागर किया।
इसी के फलस्वरूप सरकार को विवश होकर एफआरए को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए विवश होना पड़ा है। उन्होंने कहा कि भाजपा की ओर से पिछले 4 सालों से जनजातीय लोगों को ठगा जाता रहा कि एफआरए के मामले पर सुप्रीम कोर्ट से सटे लगा है। जबकि भाजपा के शासन में एक व्यक्ति के केस को स्वीकृति दी है। आज एफआरए के तहत 5 लोगों को स्वीकृति प्रदान किए जाने पर इसे ऐतिहासिक बताया जा रहा है।
इस अवसर पर उपाध्यक्ष जिला कांग्रेस कमेटी किन्नौर चंद्र गोपाल नेगी, महासचिव जिला कांग्रेस कमेटी निर्मल नेगी, महासचिव ब्लॉक कांग्रेस कमेटी पूह प्रेम प्रकाश, जिला परिषद सदस्य हितेश नेगी, हिमाचल प्रदेश इंटक उपाध्यक्ष कुलवंत नेगी, प्रवक्ता जिला कांग्रेस कमेटी केसर नेगी, कांग्रेस आईटी विभाग सह संयोजक आनंद नेगी उपस्थित थे।