शिमला, 8 दिसंबर : विश्व मानवाधिकार दिवस के उपलक्ष में राजकीय आदर्श वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय सुन्नी में आयोजित कार्यक्रम में जाने-माने मानवाधिकार कार्यकर्ता और उमंग फाउंडेशन के अध्यक्ष प्रो. अजय श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चे ही भविष्य के मानवाधिकार योद्धा हैं। उन्होंने कहा की बच्चों को उनकी समझ के अनुसार आसान भाषा में मानवाधिकारों के बारे में बताया जाना चाहिए।
कार्यक्रम की शुरुआत दीप प्रज्वलित कर व स्वागत गीत के साथ हुई। टेकचंद ठाकुर ने मंच संचालन करते हुए प्रो अजय श्रीवास्तव तथा उनके साथ आए विनोद योगाचार्य तथा अन्य सभी का स्वागत किया। प्रो. अजय श्रीवास्तव “बच्चों के लिए आवश्यक है मानवाधिकार की समझ” विषय पर बोल रहे थे। कार्यक्रम के संयोजक एवं स्कूल के प्रधानाचार्य विपिन कुमार रघुवंशी ने कहा कि विद्यालय में समय-समय पर विषय विशेषज्ञों को आमंत्रित कर व्याख्यान कराए जाते हैं। इससे बच्चों में जागरूकता बढ़ाने में मदद मिलती है।
प्रो अजय श्रीवास्तव ने बच्चों को मानवाधिकारों के बारे में बताने के लिए उनके आसपास के उदाहरण दिए। उन्होंने कहा कि यदि किसी बच्चे को कुत्ता काट ले तो उसके मानवाधिकारों का उल्लंघन किस तरह होता है। इसी प्रकार सड़कों पर घूमने वाले बेसहारा मनोरोगियों, दिव्यांगजनो, कुष्ठ रोगियों, बेसहारा महिलाओं, अनाथ बच्चों और बेघर बुजुर्गों को सभी लोग अक्सर देखते हैं। लेकिन उनके मानवाधिकारों की चिंता किसी को नहीं होती।
उन्होंने कहा कि शुरुआत में मानवाधिकार और उनके उल्लंघन की समझ पैदा करने के लिए बच्चों को उनके परिवेश के बारे में जागरूक करना चाहिए। उन्होंने बताया कि किसी बच्चे के साथ यौन उत्पीड़न की घटना, मिड डे मील के दौरान अनुसूचित जाति के बच्चों को अन्य बच्चों से अलग बैठाना, एक वर्ग को मंदिर में प्रवेश करने अथवा सार्वजनिक नल से पानी लेने से रोकना, और दिव्यंगिता के आधार पर किसी बच्चे को स्कूल में प्रवेश देने से मना करना
प्रो अजय श्रीवास्तव ने कहा कि बच्चे ऐसी घटनाएं देखकर राज्य मानवाधिकार आयोग अथवा हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश को पत्र के माध्यम से शिकायत कर सकते हैं। उन्होंने बच्चों से कहा कि वह जीवन में खूब तरक्की करें और साथ ही आसपास के कमजोर वर्गों की चिंता भी करें। उन्होंने बताया कि किस तरह उनके प्रयासों से बसंतपुर के वृद्ध आश्रम और मशोबरा स्थित नारी सेवा सदन में हो रहे मानवाधिकारों के गंभीर उल्लंघन पर हाईकोर्ट के दखल से रोक लगी।
इस अवसर पर बच्चों ने गीत संगीत का रंगारंग कार्यक्रम भी प्रस्तुत किया और विद्यालय को मानवाधिकार संबंधी पोस्टरों से सजाया।