जोगिंदरनगर/लक्की शर्मा: जोगिन्दरनगर विधानसभा क्षेत्र का सिविल अस्पताल जोगिन्दर नगर क्षेत्र के लगभग एक लाख से ज्यादा की आबादी को स्वास्थ्य सुविधा प्रदान करता हैं तथा इस अस्पताल में प्रतिदिन की लगभग 500 मरीजों की जांच की जाती है।
लेकिन बड़े दुर्भाग्य की बात है कि इस सिविल अस्पताल के एक शिशु विशेषज्ञ डॉक्टर को पहले ही डेपुटेशन पर नगरोटा सिविल अस्पताल भेजा जा चुका है और अब एक ओर गायनी के डॉक्टर को जोनल अस्पताल कुल्लू डेपुटेशन पर भेजने के आदेश आ चुके हैं।
यह बात पूर्व उपाध्यक्ष व पार्षद नगर परिषद जोगिन्दर नगर अजय धरवाल ने जारी ब्यान में कही। उन्होंने कहा कि आने वाले दिनों में तीन डॉक्टर पी .जी की पढ़ाई के लिए जाने वाले हैं और कुछ विशेषज्ञ डॉक्टर सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर की ट्रेनिंग के लिये जाने वालें है।
अस्पताल में एम. डी डॉक्टर, आंखों के डॉक्टर व ऑर्थो के डॉक्टर , रेडियोलॉजिस्ट की पोस्ट भी खाली चल रही है।
इस प्रकार व्यवस्था में कैसे सिविल अस्पताल जोगिन्दर नगर कार्य कर सकेगा व एक लाख से ऊपर की आबादी के स्वास्थ्य सुविधा का ध्यान रख सकेगा। उन्होंने कहा कि आज आम जन मानस ज सिविल अस्पताल जोगिन्दर नगर में कई कमियों के बावजूद भी जैसे तैसे काम चला रहा था परंतु जब डॉक्टर ही अस्पताल में नहीं होंगे तो इस प्रकार की व्यवस्था को स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इसके साथ ही यह भी मांग की जाती है सिविल अस्पताल जोगिन्दर नगर में ट्रामा सेंटर खोल जाए क्यों कि आये दिन साथ लगते नेशनल हाइवे में कई दुर्घटनाएं हो रही हैं ट्रामा सेंटर के खुलने से कई ज।नों को बचाया जा सकता है। इस के साथ ही ब्लड बैंक भी शुरू किया जाए जिस की मशीनें कई साल से अस्पताल में धूल फांक रही हैं। इस के साथ ही अल्ट्रा साउंड मशीन व एम आर आई मशीन भी अस्पताल में लगाई जाए।
उन्होंने कहा कि साथ ही यह भी मांग की जाती है कि कोरोना के दौरान सिविल अस्पताल में ऑक्सीजन की भारी कमी रही आज प्रदेश में लगभग सभी अस्पतालों में ऑक्सीजन प्लांट लगाए जा चुके हैं लेकिन सिविल अस्पताल जोगिन्दर नगर इस सुविधा से अब भी वंचित है।
धरवाल ने कहा कि यदि प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग शीघ्र डॉक्टरों के डेपुटेशन को रद्द नहीं करता है व डॉक्टरों के रिक्त पदों को नहीं भरता है तथा सभी मांगो को गंभीरता से पूरा करने पर कार्य नहीं करता है तो शीघ्र ही प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग के खिलाफ प्रदर्शन का आयोजन किया जाएगा। जिस की सारी जिम्मेदारी प्रदेश सरकार व स्वास्थ्य विभाग की होगी।