सोलन में राज्यस्तरीय पहाड़ी दिवस पर पहाड़ी कवि सम्मेलन का आयोजन

सोलन, 03 नवंबर : डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी में भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की ओर से राज्य स्तरीय पहाड़ी दिवस के दूसरे दिन कवि सम्मेलन का आयोजन किया गया। इसमें प्रदेशभर के 20 कवियों ने पहाड़ी में कविता पाठ किया।

इस मौके पर डॉ. यशवंत सिंह परमार यूनिवर्सिटी नौणी के रजिस्ट्रार प्रशांत सरकैक ने बतौर मुख्यातिथि शिरकत की, जबकि सम्मेलन की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि व लेखक डॉ. शंकर वासिष्ठ ने की। इस मौके पर भाषा एवं संस्कृति विभाग हिमाचल प्रदेश की सहायक निदेशक अल्का कैंथला, कुसुम संघाईक और डीएलओ हेडक्वार्टर सरोजना नरवाल विशेष रूप से उपस्थित रही।

 मुख्य अतिथि प्रशांत सरकैक ने भी महासुवी बोली में कविता पाठ किया और कहा कि उन्होंने भी पहली बार पहाड़ी में लिखने का प्रयास किया है। पहाड़ी को पिंजरे में बंद न करे और इसका सोशल मीडिया और यू-ट्यूब पर भी प्रचार- प्रसार करें ताकि अधिक से अधिक लोगों को इस ओर रूझान हो। इस मौके पर सोलन के कवि रामलाल ने म्हारा चायल बोत प्यारा कविता के माध्यम से पर्यटन नगरी चायल का उल्लेख किया।

कांगड़ा के वरिष्ठ कवि व साहित्यकार देवराज संसालवी ने कांगड़ी में कविता पढ़ी। हरी प्रिया ने जीवन का सार अपनी पहाड़ी कविता के माध्यम से बताया कि साला दर साला बरके बदलते रहे, जिंदगी की किताब बड़ी होती रही। सोलन के डॉ. प्रेमलाल गौतम ने संता भाई कविता के माध्यम से जीवन के यर्थात के दर्शन करवाए। सविता ठाकुर ने घर के महत्व पर अपनी कविता पढ़ी। 

सोलन के कवि हेमंत अत्री ने हो दादुआ पंचायतों रा आए गोआ चुनाव के माध्यम से चुनाव पर तंज किया। सोलन के यशपाल कपूर ने अपनी कविता के माध्यम से अपने ग्रामीण जीवन का चित्रण किया। उन्होंने कहा.. नहीं भूलीदे अपणे बच्चपनो रे दिन, रूशी रो जल्दी मानी जाणे आले दिन, ऊना के बलविंदर सिंह ने नौआ जमाना आई गोवा कविता सुनाई।

सिरमौर से आए प्रताप पराशर ने सिरमौरी बोली में शहीद के घर का वर्णन किया और दूसरी कविता में वर्तमान शिक्षा व्यवस्था पर तंज किया। सिरमौर के राजगढ़ के कवि प्रेमपाल आर्य ने शीखो री बात और मोबाइल कविता के माध्यम से लोगों को लोटपोट किया। उनकी कविता के बोल थे अपना जियो सिग्नल चलाऊंगा, खूंटी के टावर और बाहों रा नेटवर्क बनाऊंगा।

कुल्लू से आई अमरो ने पर्यावरण प्रदूषण पर कविता सुनाई। इसके अलावा मदन हिमाचली, डॉ. शंकर वासिष्ठ, जगदीश कश्यप, नारायण सिंह ठाकुर, दिनेश गाजटा, रिखीराम भारद्वाज, रविंद्र शर्मा, लक्ष्मी दत्त शर्मा, रेखा पांडे समेत अन्य कवियों ने कविता पाठ किया। इस मौके डीआरओ सोलन केशव राम ने कहा कि  पहाड़ी भाषा के प्रचार- प्रसार पर अधिक बल देना चाहिए। अपनी मां बोली के संरक्षण की दिशा में भाषा एवं संस्कृति विभाग की ओर से किए जा रहे प्रयास सराहनीय है। इस मौके पर वरिष्ठ कवि व लेखक डॉ. कुलराजीव पंत भी मौजूद रहे।


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