रिकांगपिओ,25 सितंबर: किन्नौर जिला के विभिन्न उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिलेगी। उपायुक्त किन्नौर आबिद हुसैन सादिक ने भौगोलिक संकेत (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) से संबंधित बैठक की अध्यक्षता करते हुए दी।
उन्होंने कहा कि किन्नौर जिला यहां पैदा होने वाले चिलगोजा, किन्नौरी सेब, किन्नौरी राजमाह, मटर व किन्नौर जिला में पहने जाने वाले किन्नौरी आभूषणों के लिए देश व विदेश भर में जाना जाता है।
उन्होंने कहा कि जिला प्रशासन चिलगोजा, किन्नौरी सेब, किन्नौरी राजमाह, मटर व किन्नौरी आभूषणों को विश्व स्तर पर पहचान दिलाने के लिए इनके भौगोलिक संकेत में पंजीकरण कराने के प्रयास कर रहा है क्योंकि ये सभी उत्पाद किन्नौर जिला की विशिष्ट भौगोलिक क्षेत्रों में उत्पादित होते हैं व निश्चित गुणवत्ता, प्रतिष्ठा व अन्य विशेषताएं रखते हैं।
उपायुक्त आबिद हुसैन सादिक ने बताया कि अब तक हिमाचल प्रदेश से केवल 8 उत्पादों जिनमें कुल्लू शाॅल, कांगड़ा चाय, किन्नौरी शाॅल, चम्बा रूमाल, कांगड़ा पैटिंग, बासमती, हिमाचली काला जीरा व हिमाचली चुल्ली तेल को भोगौलिक संकेत प्राप्त हुआ है जिसमें से किन्नौरी शाॅल, हिमाचली काला जीरा व हिमाचली चुल्ली तेल किन्नौर जिला से संबंधित उत्पाद हैं।
उन्होंने बताया कि जिला प्रशासन द्वारा जिले में उत्पादित होने वाले अन्य उत्पादों को भी भौगोलिक संकेत पंजीकरण कराने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं ताकि इन उत्पादों को वैश्विक स्तर पर पहचान मिल सके और किन्नौर जिला के लोग इससे लाभान्वित हो सके। बैठक की कार्रवाई का संचालन जिला उद्योग केंद्र के प्रबंधक डॉ. ठाकुर भगत ने किया। बैठक में उपनिदेशक बागवानी सी.एम बाली, जिला कृषि अधिकारी बलबीर सिंह व अन्य विभागों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।