ऊना,10 अगस्त : हिमाचल के विभिन्न धार्मिक स्थलों पर चल रहे श्रावण अष्टमी नवरात्र मेलों में भाग लेने वाले श्रद्धालुओं के लिए कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीनेशन की दोनों डोज का सर्टिफिकेट अनिवार्य किए जाने के बाद सीमाओं पर विवाद बढ़ता जा रहा है। हालत यह है कि हिमाचल की सीमा पर रोके गए बाहरी राज्यों के श्रद्धालु बार-बार बिना औपचारिकताएं पूरी किए बिना देवी-देवताओं के दर्शनों की जिद पर अड़ रहे हैं।
वहीं प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का पालन करवाने के लिए प्रशासन भी पूरी तरह सख्ती बरत रहा है। सीमाओं पर रोके गए श्रद्धालुओं द्वारा सोमवार को जहां दिनभर हंगामा किया गया, वहीं सोमवार रात भी जमकर विवाद किया गया। इस दौरान प्रदेश सरकार और प्रशासन के खिलाफ जमकर नारेबाजी भी हुई। वहीं श्रद्धालुओं ने सड़क को जाम करने का भी प्रयास किया।
उनकी एक न चली तो उन्होंने पंजाब की सीमा में जाकर हिमाचल के लोगों को पंजाब आने से रोक डाला। जिसके बाद प्रशासन को पंजाब प्रशासन की मदद लेते हुए हिमाचली लोगों के लिए रास्ता खुलवाना पड़ा।
गौरतलब है कि श्रावण नवरात्रों में विभिन्न देवी-देवताओं के दर्शन के लिए श्रद्धालुओं को कोविड-19 नेगेटिव रिपोर्ट या वैक्सीनेशन की दोनों पर खुराकों का सर्टिफिकेट लेकर आना अनिवार्य किया गया है। जिसके बाद बढ़ती जा रही सख्ती के कारण पहले नवरात्र पर करीब 20000 से अधिक श्रद्धालुओं को जिला की विभिन्न सीमाओं से बैरंग वापस लौटाया गया है। उधर एसपी अर्जित सेन ठाकुर का कहना है कि प्रदेश सरकार द्वारा जारी की गई गाइडलाइन का सख्ती से पालन सुनिश्चित किया जाएगा।
उन्होंने श्रद्धालुओं से अपील की है कि सभी लोग कोविड-19 से 72 घंटे पूर्व की आरटी पीसीआर नेगेटिव रिपोर्ट लाना सुनिश्चित करें। जिन्हें वैक्सीन की दोनों डोज लग चुकी है उसका सर्टिफिकेट अपने साथ लाएं ताकि उन्हें मंदिर में देवी देवताओं के दर्शन के लिए किसी परेशानी का सामना ना करना पड़े। वहीँ डीसी ऊना राघव शर्मा ने भी श्रद्धालुओं से सहयोग की अपील की है। डीसी ने कहा कि कोविड की तीसरी लहर के प्रभाव को कम करने के लिए और आमजन को कोरोना के संक्रमण से बचाने के लिए ही यह नियम तय किये गए है।