लीलाधर चौहान/ जंजैहली
हिमाचल प्रदेश शिक्षा विभाग में कार्यरत सीएसटी संगलवाड़ा(जंजैहली) एवं राज्य स्तरीय सम्मान से सम्मानित शिक्षक दलीप सिंह चौहान ने मीडिया से रूबरू होते हुए बताया कि उनका प्रयास है कि बच्चा किसी भी क्षेत्र में अपने आप को कमज़ोर न समझे। चाहे वह शिक्षा का क्षेत्र हो, खेलकूद का क्षेत्र हो या आधुनिक संस्कृति का। उनका कहना है कि बच्चे का मनोबल मज़बूत होगा तो वह खुले मन से निःसंकोच अपने विकास में पूरा दिल लगाकर मेहनत करेगा। वह किसी से अपने आप को कम न समझे। इसी उद्देश्य से उनकी पाठशाला के अभिभावकों ने अध्यापकों का साथ देते हुए बच्चों के व्यक्तित्व के विकास के लिए हर प्रयास किया है।
आधुनिक बर्दी भी तैयार करवाई गई है। जिसमे सभी बच्चे अति खूबसूरत लगते हैं। पाठशाला के सीएसडी दिलीप सिंह चौहान ने मीडिया को अपना अनुभव सांझा करते हुए बताया कि उन्हें आशा है ये बच्चे भविष्य में अपने देश के आदर्श नागरिक बनेगें। इसी सोच के साथ वे इन नन्हें- नन्हें फूलों की क्यारियों को दिल से सजाने संवारने में गर्व महसूस करते हैं।
मीडिया के सर्वे के अनुसार
हमारे सर्वे के अनुसार जंजैहली के केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला संगलवाड़ा को रंगीन व अति खूबसूरत बनाया गया है। इसके साथ-साथ विद्यालय में बच्चों की हर सुविधा का ख्याल रखा जाता है। बच्चों को आधुनिक शिक्षण पद्धतियों के माध्यम से आकर्षक शिक्षण अधिगम सामग्री की मदद से सिखाया जाता है। बच्चों का मनोबल बढ़ाने के उद्देश्य से अध्यापक बच्चों के साथ मित्रवत व्यवहार करते हैं जो शिक्षा के क्षेत्र में उन नन्हे बच्चों के लिए बहुत बड़ी पहल और मिसाल कायम हो रही है।
हिमाचल प्रदेश में शिक्षा के क्षेत्र में सरकारी स्कूलों का ग्राफ नीचे की ओर गिरने का सबसे बड़ा कारण है कि अध्यापकों और अभिभावकों का आपसी तालमेल नहीं होता है। जिस कारण बच्चों की शिक्षा प्रभावित रहती है। हमने सरकारी स्कूलों के अध्यापकों के हाल देखें जो सिर्फ अपनी औपचारिकताएं ही पेश करते हैं।
हिमाचल प्रदेश के शिक्षकों में से एक अनमोल रतन एवं सीएचडी दिलीप सिंह चौहान जैसे अध्यापक गिने-चुने ही हिमाचल प्रदेश में है। केंद्रीय प्राथमिक पाठशाला संगल वाड़ा की तरह प्रत्येक स्कूलों में शिक्षा प्रणाली में सुधार लाने के लिए अध्यापकों और अभिभावकों को आपसी तालमेल करके अपने कर्तव्य का पालन करना पड़ेगा।