शिमला बस हादसे के खिलाफ छात्र अभिभावक मंच का प्रदर्शन, उपायुक्त को सौंपा ज्ञापन

एमबीएम न्यूज़ /शिमला
राजधानी के झंझीड़ी में सोमवार सुबह बस हादसे में मारे गए निजी स्कूल के दो बच्चों व परिवहन निगम के चालक की मौत पर छात्र अभिभावक मंच ने मंगलवार को रोष स्वरूप डीसी ऑफिस शिमला के बाहर जोरदार प्रदर्शन किया। इसके बाद मंच का प्रतिनिधिमंडल उपायुक्त शिमला से मिला व ऐसी दर्दनाक दुर्घटनाओं पर अंकुश लगाने के लिए एक ज्ञापन सौंपा। मंच के संयोजक विजेंद्र मेहरा ने कहा है कि पिछले कुछ वर्षों में शिमला शहर में बालूगंज क्रॉसिंग,जतोग व झंझीड़ी में तीन दर्दनाक हादसे हुए हैं, जिनमें स्कूली बच्चों की जान गई है।

इन हादसों के बावजूद शिमला जिला प्रशासन ने बच्चों की सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाए है। इन हादसों के कारण स्कूली बच्चे सुरक्षित महसूस नहीं करते हैं। क्योंकि बच्चों की सुरक्षा के कोई भी पुख्ता इंतजाम आज तक नहीं हो पाए हैं। उन्होंने उपायुक्त शिमला से अनुरोध किया है कि जिला प्रशासन, पुलिस विभाग,लोक निर्माण विभाग,नगर निगम शिमला व परिवहन विभाग के मध्य समन्वय स्थापित किया जाए व हादसों को रोकने के लिए ठोस कदम उठाए जाएं। उपायुक्त को दिए गए ज्ञापन में मंच ने 11 सुझाव दिए हैं।

जिन पर उपायुक्त ने कार्य करने का भरोसा दिया है। उन्होंने कहा कि मंच पिछले दो वर्षों से निजी स्कूलों की कार्यप्रणाली के विषय को उठा रहा है व कड़ी कार्रवाई की मांग कर रहा है।  परन्तु कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो रही है। स्कूली छात्रों की सुरक्षा व सेफ्टी को लेकर उच्चतम न्यायालय ने 15 अप्रैल 2018 को कुछ दिशानिर्देश जारी किए थे, परन्तु वह आज तक लागू नहीं हुए। इसके तहत निजी स्कूलों को अपनी बसें चलाने व बच्चों की सुरक्षा सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए थे। सीबीएसई की गाइडलाइन्स के अनुसार किसी भी निजी स्कूल को तब तक मान्यता नहीं मिल सकती है जब तक कि उनकी अपनी बसें न हों। इस निर्णय को लागू न करने से स्कूली छात्रों की सुरक्षा व सेफ्टी हमेशा दांव पर रहती है।
उन्होंने कहा कि नूरपुर, बंजार व शिमला,ददाहू व खलीनी हादसा इस बात के स्पष्ट सन्देश दे रहे हैं कि स्कूली छात्रों की सुरक्षा उच्चतम न्यायालय के निर्णय के बावजूद प्रदेश सरकार की प्राथमिकता में नहीं है। उन्होंने उच्च न्यायालय से भी अनुरोध किया है कि वह स्कूली छात्रों की सेफ्टी व सुरक्षा को लेकर उच्चतम न्यायालय का निर्णय लागू करवाएं व इसके अलावा स्वयं इस संदर्भ में कुछ दिशानिर्देश जारी करे।


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