एमबीएम न्यूज़/ ऊना
मोदी सुनामी में लोकसभा की सभी चारों सीटें हारने के बाद हिमाचल कांग्रेस में पड़ी दरार खुलकर सामने आ गई है। पार्टी के ऊना सदर से विधायक सतपाल रायजादा ने इस हार के लिए पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह की जिद को कसूरवार ठहराया है। विधायक ने वीरभद्र पर पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सुखविंदर सुक्खू को हटाकर संगठन की जड़े काटने का आरोप लगाया है।
रायजादा ने वीरभद्र द्वारा सुक्खू की बार-बार खुली आलोचना को गलत बताया। उन्होंने बीजेपी कार्यकर्ताओं की मेहनत का हवाला देते उन्हें चाणक्य की उपाधि तक दे डाली। जिला सदर विधायक ने केंद्र सरकार की किसान सम्मान निधि को रिश्वत तक कह डाला। विधायक ने कहा कि मोदी सरकार ने गांव-गांव में दो-दो हजार की रिश्वत किसान सम्मान निधि के रूप में खाते में डाल वोट बटोरने का काम किया है। उन्होंने कहा कि आने वाले पांच साल भी इस योजना के तहत 6-6 हजार रुपए प्रति साल किसानो तक पहुंचने चाहिए।
किसानो के साथ धोखा नहीं होना चाहिए। हिमाचल की कारारी हार के सवाल पर विधायक ने कहा कि भाजपा का हर कार्यकर्ता अपने प्रत्याशी की जीत के लिए काम कर रहा था। लेकिन कांग्रेस के शीर्ष नेता अपने ही संगठन में टिकट काटने में लगे हुए थे। उन्होंने कहा कि प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह ने चुनाव से तीन माह पहले जैसे सुखविंद्र सिंह सुक्खू को संगठन से हटाया, उससे संगठन को काफी प्रभाव पड़ा। यही कारण है कि प्रदेश में कांग्रेस को इतने बड़े अंतर से हार झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि सुखविंद्र सिंह सुक्खू के साथ प्रदेश का हर कार्यकर्ता जुड़ा हुआ था। वीरभद्र सिंह की जिद के आगे कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के बदलाव के बाद सुक्खू की बार-बार खुली अलोचना करने से भी कार्यकर्ताओं में गलत संदेश गया।
यहीं कारण है कि कांग्रेस को हार झेलनी पड़ी। उन्होंने कहा कि भाजपा का संगठन मजबूत होकर निकला है। मजबूती का कारण चुनाव से पहले ही सुखविंद्र सिंह को प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाना था। उन्होंने कहा कि सुक्खू को अगर प्रदेशाध्यक्ष पद से हटाना ही था तो चुनाव से एक वर्ष पहले या फिर चुनाव के बाद हटाते। लेकिन जिस प्रकार चुनाव से पहले सुक्खू को बदला गया। उससे कार्यकर्ताओंं में रोष पनपा है। विधायक ने सुखविंद्र सुक्खू का भी आभार जताया कि उन्होंने अपना संयम रखते हुए किसी भी बड़े नेता के खिलाफ पलटवार नहीं किया।