हमीरपुर में 50 लाख का सोलिड वेस्ट मनेजमैट प्रोजेकट फेल

एमबीएम न्यूज़/ हमीरपुर

हमीरपुर शहर से हर रोज निकलने वाले टनों के हिसाब से कचरे का उपयोग करने के लिए करीब 14 साल पहले लगाया सोलिड वेस्ट प्रोजेक्ट पूरी तरह फेल होता दिख रहा है। वजह ये है कि इतने सालों में नगर परिषद न तो इससे बनने वाली खाद को सही अंजाम दे सकी है और न ही बार- बार फेल होते खाद के सैंपलों पर सुधार कर पाई है। यही वजह है कि अब मात्र औपचारिकता ही इस प्रोजेक्ट में निभाई जाती लग रही है।

टनों के कचरे को जला दिया जा रहा है। कचरा जलाने से साथ लगते गांव वासियों को प्रदूषित हवा से भी दो-चार होने पड़ रहा है। हालांकि नगर परिषद का ये तर्क है कि इसमें बनाई जाने वाली खाद के सैंपल तो फेल हो जाते है। लेकिन उनके द्वारा तैयार खाद को बड़े पेड़ों को डाली जा सकती है। बतातें चलें कि हमीरपुर शहर से 8 किलोमीटर की दूरी पर दगनेडी में नगर परिषद द्वारा 22 अक्तूबर 2005 में 50 लाख का सोलिड वेस्ट मनेजमैट प्रोजेकट लगाया गया था। इस प्राजेक्ट में 119 बैटरिया व 114 सैल से बनाया गया है।

इस प्राजेक्ट का शिलान्यास पूर्व मुख्यमंत्री वीरभद्र सिंह व पूर्व विधायिका अनिता वर्मा ने किया था। इस सोलिड वेस्ट मनेजमैट प्रोजेक्ट का उदेश्य था कि शहर का कूड़ा इक्कठा करके लोगों को सस्ती खाद उपलब्ध करवाना था। लेकिन 50 लाख का सोलिड वेस्ट मनेजमैट प्रोजेकट तो लगा दिया गया पर यहां खाद बनाने का काम सिरे नहीं चढ़ पाया जिससे यह प्राजेक्ट फेल हो गया। इस प्राजेक्ट में जितनी बार भी खाद बनी वह खाद प्रदूषण कन्ट्रोल बोर्ड में कभी पास नहीं हो पाई जिससे इस प्रोजेक्ट तो बन गया लेकिन खाद कभी बन नहीं पाई।

नगर परिषद रोजाना शहर से 5 टन का कचरा इक्कठा करके सोलिड वेस्ट मनेजमैट प्रोजेकट में जाता है। फिर भी इस प्राजेक्ट से बनी खाद का सैंपल फेल हो जाता है ।  पांच कर्मचारियों की ड्यूटी सोलिड वेस्ट मनेजमैट प्रोजेकट दगनेड़ी में ड्यूटी दे रहे है। जिससे इन 5 कर्मचरियों को ही रोजाना गडियों को उतार कर खाद बनाने को काम करना पड़ता है।

जबकि यह काम 15 कमचारियों का है। जिससे कारण भी खाद बनाने के काम दिक्कते पैदा हो रहीं है। सोलिड वेस्ट मनेजमैट प्रोजेकट दगनेड़ी में कचरे का घटिया प्लास्टिक बरमाणा भेजा जाता है। कचरे से जो अच्छा प्लास्टिक अच्छा निकलता है।  उसे नगर परिषद लोक निर्माण विभाग को दे देते है। कचरे में ज्यादा प्लास्टिक, ज्यादा रबड़ का प्रयोग होने से भी खाद बनाने में समस्या आती है। कई बार तो जला हुआ कूड़ा भी आता है। उससे भी नहीं खाद नहीं बन पाती है। नगर परिषद हमीरपुर कर्मचारियों का अभाव, फिर कूड़े की झिकझिक

नगर परिषद हमीरपुर में तकरीबन 70 सफाई कर्मचारियों के सहारे रोजाना 5 टन कूड़ा एकत्रित कर उसे प्लांट तक पहुंचाना टेढ़ी खीर बन चुका है। इससे सफाई कर्मचारियों को कूड़ा इक्ट्ठा करने में भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इसका बड़ा कारण यह है की शहर आबादी बढ़ी  है। हालांकि वर्ष 2011 की जनगणना के आंकड़ों के हिसाब से शहर की कुल आबादी 18,000 के करीब है। लेकिन यहां शैक्षणिक संस्थानों की भरमार होने व अब मेडिकल कॉलेज सहित अन्य सरकारी व निजी संस्थानों के कारण शहर की आबादी 50-60 हजार से ऊपर पहुंच चुकी है। जिस कारण कूड़ा भी रोजाना निकल रहा है।

इतनी आबादी के हिसाब से सफाई कर्मचारी कम पड़ गए हैं। नगर परिषद के कर्मचारी एक वीट पर एक सफाई कर्मचारी 50 से 60 घरो का कूड़ा उठाता है। लेकिन कमचारियों की कमी के चलते एक सफाई कर्मचारी 100 से 135 घरो का कूड़ा उठा रहा है। जबकि इतना घरों का कूड़ा उठाना संभव नहीं है। हमीरपुर नगर परिषद के कार्यकारी अधिकरी सतीश कुमार का कहना है कि आज ही कार्य संभाला है। शहर में सफाई व्यवस्था लेकर प्राथमिकता रहेगी। जब आचार सहिता के जब पहली बैठक होगी तो इस समस्या का समाधान किया जाएगा।


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