एमबीएम न्यूज़/बिलासपुर
नैनादेवी विधानसभा क्षेत्र के अंतर्गत सलोआ गांव आजादी के 70 साल बाद भी बुनियादी सुविधाओं के लिए तरस रहा है। कैंथघाट-सिद्धसूह-श्मशान घाट तक जाने वाली उक्त तीन किलोमीटर कच्ची सड़क होने के कारण अत्यधिक दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इलसिए ग्रामीणों ने अब तक रही सभी सरकारों के ख़िलाफ़ गहरा रोष व्याप्त है। गुस्साए ग्रामीणों का कहना है कि चुनाव के समय नेता उनसे वोट मांगने आते है, लेकिन बाद में सभी वायदे भूल जाते हैं। अब की बार जनता सभी दलों के नेताओं को सबक सिखाया जाएगा।
गौरतलब है कि सलोआ गांव के लिए कई साल पहले पंचायत द्वारा कच्ची संपर्क सड़क बनाई गई थी। वह आज भी उसी हालत में हैं। सलोआ गांव के ग्रामीणों बुजुर्ग ब्रह्मानन्द शर्मा, हरिकृष्ण, विजय कुमार शर्मा, साधू राम, आशा देवी, रमेश चंद, चरणसिंह उर्फ लक्की राणा, अशोक कुमार, नीतीश राणा व शशिपाल ने बातचीत के दौरान बताया कि उनके गांव में सिर्फ एक हैंडपंप लगा है। जो गर्मी के मौसम में हर बार जवाब देने लगता है।
यही हाल प्राकृतिक जल स्रोत का है। पीने के पानी के लिए उन्हें एकमात्र बावड़ी पर निर्भर रहना पड़ता हैं। गर्मी के मौसम में अब ये बावड़ी भी सूखनी शुरू हो गई है। हालांकि उनके समीप सिधसूह में एक मिडल स्कूल की व्यवस्था हिमाचल सरकार द्वारा की गई है। लेकिन आठवीं के बाद उच्च शिक्षा के लिए उनके बच्चों व लड़कियों को पढ़ने के लिए दूर-दराज जंगल के रास्ते से जाना पड़ता है।
ग्रामीणों ने बताया कि उन्होंने खुद अपने पैसे एकत्रित करके दो दिन पहले ही कच्ची सड़क को ठीक करवाई है। कच्ची सड़क होने के कारण गांव सलोआ तक एम्बुलेंस नहीं आ रही है। जिस कारण गर्भवती महिला व बीमार को अस्पताल पहुंचाने में चारपाई पर उठाकर ले जाना पड़ता है। ग्रामीणों ने नेताओ के प्रति भारी आक्रोश जताया है।