एमबीएम न्यूज/मंडी
बरोट में स्थित शानन विद्युत प्रॉजेक्ट के डैम से प्रबंधन द्वारा उहल नदी में 15 फीसदी पानी न छोड़े जाने पर एक बार फिर बवाल खड़ा हो गया है। मामले में अब पर्यावरण प्रेमियों ने सीएम को लिखित शिकायत भेजकर सख्त कार्रवाई की मांग उठाई है। वहीं दूसरी तरफ डैम प्रबंधन एनजीटी से विशेष छूट मिलने की बात कह रहा है।
हिमाचल प्रदेश की नदियों पर जितने भी डैम बने हैं, नियमों के तहत उन्हें 15 फीसदी पानी छोडऩा पड़ता है। लेकिन पर्यावरण प्रेमियों ने आरोप लगाया है कि मंडी जिला के बरोट में बने शानन प्रॉजेक्ट डैम से 15 फीसदी पानी नहीं छोड़ा जा रहा है। यही कारण है कि मंडी निवासी पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैनी ने इस संदर्भ में सीएम जयराम ठाकुर को एक लिखित शिकायत भेजकर कार्रवाई की मांग उठाई है। सैनी का कहना है कि प्रबंधन डैम साइट से नदी में 2 से 3 फीसदी पानी ही छोड़ रहा है जिससे नदी में जहां कई मछलियां मर रही हैं वहीं पर कई जीवों की जिंदगियां भी इससे खतरे में पड़ गई हैं। आरोप है कि प्रबंधन अतिरिक्त बिजली पैदा करने के चक्कर में पूरी तरह से नियमों को ताक पर रखकर अपना मुनाफा कमा रहा है।
पहले भी इस बारे में पर्यावरण प्रेमी नरेंद्र सैणी ने इसकी शिकायत एनजीटी से की थी तब एनजीटी ने इस पर प्रॉजेक्ट प्रबंधन को नोटिस भेज कर 15 फीसदी पानी छोडऩे के आदेश जारी किए थे। एनजीटी ने प्रदुषण नियंत्रण बोर्ड के अधिकारियों से भी इस बारे में निरीक्षण करने को कहा गया था। जिस पर एक ज्वाइंट निरीक्षण के लिए एक टीम शानन का दौरा करने आई थी। जिसने भी रिपोर्ट सरकार व एनजीटी को भेज दी है। सैनी का आरोप है कि ऊर्जा विभाग के कुछ अधिकारी शानन प्रॉजेक्ट के साथ मिलिभगत के तहत यह सब काम कर रहे हैं।
वहीं शानन डैम बरोट के एसडीओ गुरविंद्र सिंह ने लगाए जा रहे सभी आरोपों को निराधार बताया। उन्होंने बताया कि प्रॉजैक्ट 1928 में बना है और एनजीटी के आदेश 2005 में जारी हुए हैं। एनजीटी ने अपने इन आदेशों के तहत शानन प्रॉजैक्ट को विशेष छूट दे रखी है। उन्होंने बताया कि डैम प्रबंधन पर 15 फीसदी पानी छोडऩे की शर्त लागू नहीं होती और समयानुसार यहां से पानी छोड़ा जाता है।