बिलासपुर जिला में बंदरों के आतंक के कारण किसानों को मक्की की फसल समय से पहले ही काटनी पड रही है। घुमारवीं उपमंडल के अंतर्गत पड़ने वाली ग्राम पंचायत डंगार के दख्यूत चोखणा डंगार में इनकी तादाद सैकड़ों में नही हजारों में है। पिछले 15-20 सालों से किसानो के लिए ये बंदर सिर दर्दबने हुए है। इन गांव में सैकड़ों बीघा जमीन बंजर पड़ी है। जो कभी उपजाऊ हुआ करती थी। स्थानीय किसानो का कहना है कि पहले इन जंगलों में बंदर नही हुआ करते थे। अगर होते भी थे तो बहुत कम थे।
बंदरों की नसबंदी के दौरान सरकार ने इस तरह का काम किया कि बाहर से गाडियां भर-भर कर जंगलो मे छोड़ दी। बिना सोचे समझे किए गए इस कृत्य से अब आम किसान तंग हो रहा है। कई तो लोग फसल बीज ही नहीं रहे है। कुछ बीज भी देते है तो समय से पहले ही कटाई करनी पडती है। अब तो आलम यह है कि इनसे खेतों की रखवाली करना भी मुश्किल हो गया है। यह इतने खूंखार हो चुके है कि अकेले बच्चों-महिलाओं व बुजुर्गों पर कभी भी हमला कर देते है।
जिस कारण किसानों की परेशानी और बढ गई है। इसे सरकार की नाकामी कहें या लोगों की बदकिस्मती रही है कि बंदरो के नाम पर पकड़ने की सारी योजनाएं असफल साबित हुई है। जबकि वन विभाग के पास अफसरों की लंबी-चौडी फौज है। जो लाखो रुपये की पगार इसी काम के लिए लेते है।