उमेश ललित/ धर्मपुर(मंडी)
उपमंडल की सकलाना पंचायत का पटवारखाना अत्यंत दयनीय स्थिति में होने के बावजूद वहां ग्रामीण राजस्व अधिकारी, सहायक और चौकीदार पटवारी गत तीन साल से सेवाएं दे रहे हैं। लेकिन उनकी जान की परवाह विभाग को भी नहीं। पहली नजर में किसी निजी गौशाला की तरह दिखने वाला यह सरकारी भवन कभी भी ढह कर जान-माल का भारी नुक्सान कर सकता है।
वर्ष 1989 में बना यह पटवार खाना गिरने के कगार पर है। दिलचस्प बात यह है, कि तीस साल बीत जाने पर भी राजस्व विभाग इसकी एक बार मुरम्मत तक न करवा पाया। पूर्व प्रधान सुरेंद्र ठाकुर, पूर्व प्रधान बलवंत सिंह, मंजू कुमारी, गीता देवी, जय सिंह और केहर सिंह आदि का कहना है, कि यह भवन अचानक गिर कर पटवारी, सहायक, चौकीदार अथवा कार्य कराने आए किसी ग्रामीण की मौत का कारण बन सकता है।
बारिश के समय यहां राजस्व रिकॉर्ड को सुरक्षित रखना बड़ी चुनौती बन जाती है।अगर बाहर रिकॉर्ड रखा जाए तो चूहे तार-तार कर डालते हैं। वर्षा के समय रिसती छत के नीचे दस-बारह टीन के डिब्बे रखने पड़ते हैं। गर्मियों में सांप घुस आते हैं। कुल मिलाकर खस्ताहाल इस पटवार खाने के अंदर बैठना खतरे से खाली नहीं।
ग्रामीणों का कहना है, कि उन्होंने कई मर्तबा इस संदर्भ में राजस्व अधिकारियों से इस भवन को असुरक्षित घोषित करने की गुहार लगाई लेकिन कोई संतोषजनक कार्रवाई अभी तक नहीं हो पाई है। इस बारे में उपमंडलाधिकारी(ना) एचएस राणा का कहना है, कि तहसीलदार धर्मपुर को मौके पर जाकर स्थिति का जायजा लेने और आवश्यक कार्रवाई करने के निर्देश जारी किए गए हैं।