एमबीएम न्यूज़/ जंजैहली उपमंडल संवाददाता सुंदरनगर सिराज के सुप्रसिद्ध हिमाचली लोक गायक लीलाधर चौहान जिला के जाने माने कवि भी है जिन्होंने अपने सिराज की संस्कृति को जिंदा रखने के लिए जीना शोभला म्हारे सिराजे रा, गीत गाकर के सिराज का नाम हिमाचल प्रदेश में रोशन किया है। राज्य स्तरीय नलवाड़ी मेला सुंदर नगर में भी उन्होंने इसी गीत से अपने कार्यक्रम की शुरुआत की। जैसे ही उन्होंने यह गीत गाया पूरा पंडाल गूंज उठा।
उसके बाद उन्होंने हिमाचली संस्कृति पर आधारित हाय मांमटी गीत भोले मामटी गीत गाकर पंडाल मैं बैठे सैकड़ों लोगों को झूमने पर विवश कर दिया। अंत में बेटी अनमोल पर बना जरा सोचो तुम गीत गाया तो पंडाल पर बैठे असली श्रोताओं की आंखें नम हो गई। लीलाधर चौहान ने बताया कि हिमाचली लोक गायकों को गीत गाने के लिए बहुत कम समय मिलता है। जबकि दूसरों के गीत गाने वाले गायकों को खुला मंच दिया जाता है। जिससे हिमाचली कलाकारों का सरेआम अपमान हो रहा है, उन्होंने बताया कि इस बारे में उन्होंने भाषा एवं संस्कृति विभाग शिमला को कई बार लिखा, हिमाचल प्रदेश के मुख्यमंत्री को भी लिखित शिकायत भेजी है।
मगर इस पर अभी-अभी तक प्रशासन द्वारा कोई ठोस नीति नहीं बनाई गई है जिससे हिमाचली कलाकारों को अपने गीत गाने के लिए खुलकर समय मिल सके। लीलाधर चौहान ने बताया कि उनके द्वारा लिखा गया और गाया गया गीत जो उन्होंने स्पेशली बेटी अनमोल पर आधारित बनाया है को शिवरात्रि महोत्सव के दौरान जिलाधीश मंडी ने रिलीज किया है।
लीलाधर चौहान का कहना है कि प्रशासन को चाहिए कि जब भी लोक गायकों का चयन होता है उसके बारे में विस्तृत जानकारी हासिल कर ले ताकि उसे मंच पर उपेक्षा का शिकार ना होना पड़े और उसे उचित समय व मानदेय भी दिया जाना चाहिए।