शिमला (एमबीएम न्यूज़): हिमाचल विधानसभा के बजट सत्र का हंगामेदार आगाज हुआ है। बजट सत्र के पहले दिन मंगलवार को विपक्षी कांग्रेस सदस्यों ने राजस्व की धारा-118 को लेकर सदन में नारेबाजी की और वाकआउट कर दिया। एक घंटे तक चले शोकदगार के बाद सदन की कार्रवाई जैसे ही आगे बढ़ी, तो कांग्रेस विधायक दल के नेता ने नियम-67 के तहत स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग की।
अग्निहोत्री ने कहा कि सरकार धारा-118 में संशोधन करने की तैयारी में है और खुद मुख्यमंत्री इसे लेकर बयान दे रहे हैं। उन्होंने कहा कि यह मुददा प्रदेश के हितों से जुड़ा है और सदन का सारा कामकाज रोककर तुरंत इस पर चर्चा करवाई जाए। लेकिन स्पीकर राजीव बिंदल ने विपक्ष के स्थगन प्रस्ताव को यह कहते हुए नामंजूर कर दिया कि इसे विचार-विमर्श के लिए सरकार के पास भेजा गया है और विपक्ष सदन की कारवाई को शांतिपूर्ण चलाने में सहयोग दे।
मगर विपक्षी कांग्रेसी विधायक स्थगन प्रस्ताव पर चर्चा की मांग पर अड़े रहे और अपनी सीटों से खडे होकर नारेबाजी करने लगे। इतने में सरकार के कुछ मंत्री भी अपनी सीटों से खडे होकर विपक्षी सदस्यों पर पलटवार करने लगे। सदन में करीब 10 मिनट तक माहौल तनावपूर्ण बना रहा और इसके बाद कांग्रेस विधायक दल के नेता मुकेश अग्निहोत्री पार्टी विधायकों के साथ सदन से बाहर चले गए। अग्निहोत्री का कहना था कि सरकार को महज दो माह में धारा-118 में परिवर्तन करने की क्या जरूरत पड़ गई है।
विपक्ष के वाकआउट के बाद सदन के नेता व मुख्यमंत्री जयराम ठाकुर ने कहा कि विपक्ष ने अनावश्यक तौर पर इस मुददे को उठाया है। धारा-118 में सरकार ने अभी किसी तरह का बदलाव नहीं किया है। इसे लेकर जनता से केवल सुझाव मांगे गए हैं। हिमाचल के हितों के मददेनजर और जनता की मांग पर अगर सरकार को लगेगा तभी धारा-118 में संशोधन किया जाएगा। उन्होंने कहा कि खुद कांग्रेस अपने शासन काल में कई बार धारा-118 में संशोधन कर चुकी है।
जयराम ने कहा कि बजट सत्र के पहले दिन वाकआउट कर विपक्ष अखबारों की सुर्खियां बनाना चाहता है। चंद माह पहले विधानसभा चुनाव में मिली पराजय से कांग्रेस अब तक नहीं उबर पाई है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस का व्यवहार न केवल अशोभनीय बल्कि दुर्भाग्यपूर्ण भी है। उन्होंनें इस बात पर हैरानी जताई कि कांग्रेस विधायकों ने ऐसे विषय पर हंगामा किया है, जिस पर कि सरकार ने अभी तक कोई फैसला ही नहीं लिया है।