हरीपूर दशहरा की तीसरी संध्या में छाए लीलाधर चौहान, स्थानीय कलाकारों ने भी बांधा समां 

कुल्लू (नीना गौतम) : जिला के मनाली के साथ लगते हरीपूर दशहरे की तीसरी सांस्कृतिक संध्या में मंडी के जंजैहली से आए लोकगायक लीलाधर चौहान ने श्रोताओं को अपने ही लिखे व गाए गीतों से मंत्रमुग्ध कर दिया। जैसे ही मंच पर उन्होने धमाकेदार एन्ट्री ली तो शांत माहौल में बैठे दर्शकों ने उनका तालियों से जोरदार स्वागत कया। उन्होने अलाप लेते हुए अपने कार्यक्रम का आगाज किया उसके बाद शुणे केरे झूरिए, जीणा शोभला म्हारें सराजे रा, नाटी रामादासिए रामादासिए, तेरा मेरा प्यार अरिए, तू मेरी मैं तेरा सोनिया, हाए मांमटी भोले मामटी दर्जनो हिमाचली लोकगीतों को गाकर संध्या के मुख्यअतिथि, कमेटी सदस्य और श्रोताओं से खूब वाहवाही लूटी।
      लीलाधर चौहान ने कमेटी व श्रोताओं का आभार प्रकट करते हुए बताया कि हिमाचल में जिला से अन्तर्राष्ट्रीय स्तर तक मनाए जाने वाले मेले व उत्सवों को आयोजित करवाने वाली कमेटियों को चाहिए कि इस उत्सव सीख ले कि हिमाचली संस्कृति को बचाए रखने के लिए हरीपूर के लोग कितनी मेहनत करते है।  इसी संध्या में सुनीता भारद्वाज सहित स्थानीय कलाकारों व महिलामंडलों के आकर्षक कार्यक्रम भी हुए जिसमें हिमाचली संस्कृति की झलक साफ दिख रही थी।
     आपको बता दे कि हरीपूर दशहरा हिमाचल प्रदेश का एकमात्र ऐसा उत्सव है जहां बिना किसी पुलिस प्रशासन मदद से शांत माहौल में कार्यक्रम कमेटी द्वारा करवाया जाता है और देर रात तक श्रोता कलाकारों को सुनने बैठे रहते है।

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